सरकार करेगी कुलपति की नियुक्ति, कैबिनेट ने बदले नियम, अब राज्यपाल को अधिकार नहीं

रायपुर . अब राज्य सरकार विश्वविद्यालयों में अपनी पसंद से कुलपति की नियुक्ति कर सकेगी। साथ ही, किसी भी कुलपति को हटाने की अनुशंसा कर सकती है। सरकार ने प्राइवेट स्कूलों में बेतहाशा फीस पर लगाम लगाने के लिए मंत्रियों की एक उप समिति बनाई है, जो फीस में एकरूपता के लिए सिफारिश करेगी। इसके अलावा आधा दर्जन से ज्यादा संशोधक विधेयकों को मंजूरी दी गई है।



सीएम भूपेश बघेल की अध्यक्षता में मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई कैबिनेट ने इस संबंध में संशोधन को मंजूरी दे दी है। अब तक कुलपति की नियुक्ति और हटाने का अधिकार राज्यपाल के पास था। सरकार तीन नामों का पैनल भेजती थी, जिसमें से राज्यपाल अपनी पसंद से एक का चयन करते थे। अब सरकार जिस नाम की अनुशंसा करेगी, राज्यपाल को उसी की नियुक्ति करनी होगी। कैबिनेट ने शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी खोलने को भी मंजूरी दी है। बता दें कि पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर राजभवन और सरकार आमने-सामने आ गए थे। दोनों ही विश्वविद्यालयों में राज्यपाल ने जो नियुक्तियां की हैं, उससे सरकार सहमत नहीं थी। इस वजह से विवाद की स्थिति बनी थी।


हालांकि बाद में राजभवन की ओर से यह स्पष्ट किया गया था कि सरकार से समन्वय के बाद ही नियुक्तियां की गई थीं।  राज्य सरकार ने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता व जनसंचार विवि और पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विवि को छत्तीसगढ़ विवि (संशोधन) विधेयक के अंतर्गत लाने का फैसला किया है। अब सभी विश्वविद्यालयों का संचालन और कुलपति की नियुक्ति एक ही प्रक्रिया के तहत होगी।


अब पत्रकारिता विवि चंदूलाल चंद्राकर के नाम पर
राज्य सरकार ने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय का नाम बदलकर पूर्व सांसद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पत्रकार चंदूलाल चंद्राकर के नाम पर करने का फैसला किया है। ठाकरे विश्वविद्यालय का गठन 2008 में किया गया था। कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ही नाम बदलने की चर्चा थी। कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी है। इसी तरह कामधेनु विश्वविद्यालय का नाम अब दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय होगा। वासुदेव चंद्राकर को सीएम बघेल का राजनीतिक गुरु कहा जाता है।